गाय के गोबर से तैयार इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का होगा विषर्जन, न बढे़गा कचरा और न बढे़गा प्रदूषण
सहारनपुर : इन दिनों गणेश चतुर्थी की धूम देश भर में देखी जा रही है। गणपति बप्पा के भगत घरों में गणेश जी की प्रतिमाओं को स्थापित कर रहे हैं। पूजा पाठ के बाद गणेश जी प्रतिमाओं का विसर्जन की तैयारियां चल रही है। खास बात ये है कि गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन से नदियों में प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन नगर निगम सहारनपुर की अनोखी पहल से गणेश विसर्जन से न सिर्फ प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी बल्कि नदियों-तालाबों में कचरा भी नहीं फैलेगा। क्योंकि गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजा के लिए नगर निगम गाय के गोबर से इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहा है। पूजा के बाद इन प्रतिमाओं के विसर्जन से न तो किसी तरह के प्रदूषण का डर रहता है और न ही नदियों-तालाबों में कचरा बढ़ने की समस्या होती है। प्रतिमा बेचने वाले अनेक दुकानदारों ने इको फ्रेंडली इन गणेश प्रतिमाओं के प्रति गहरी रुचि दिखायी है।

आपको बता दें कि हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव शुरू हो जाता है। चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेश महोत्सव मनाया जाता है। भगतजन अपने घरों में भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दस दिनी तक पूजा पाठ करते हैं। 10वें दिन गणेश उत्सव का समापन धूम धाम से किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की प्रतिमा को नदियों में विसर्जन कर विदा किया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव के दौरान भक्त सुबह शाम बप्पा की पूजा अर्चना करते हैं और उनके मनपसंद भोजन का भोग लगाते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है, साथ ही कारोबार में उन्नति होती है।
ज्यादातर प्रतिमाएं चीनी मिट्टी और कैमिकल से बनाई जाती हैं जिसके विसर्जन करने से प्रदूषण फैलने का खतरा बना रहता है। यही वजह है कि स्मार्ट सिटी नगर निगम सहारनपुर ने गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में अनोखी पहल की है। जिसके चलते नगर निगम द्वारा सांवलपुर नवादा में संचालित माँ शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला इन दिनों गणेशमय हो गयी है। गौशाला में गाय के गोबर से गणेश जी की प्रतिमाएं बनाई जा रही है। इन प्रतिमाओं को निगम कर्मचारी विभिन्न रंगों से आकर्षक आकार देकर बिक्री के लिए तैयार कर रहे हैं।
गौशाला प्रभारी एवं निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ.संदीप मिश्रा ने बताया कि गोमय निर्मित गणेश जी की मूर्तियों का पूजन के बाद विसर्जन किए जाने से प्रदूषण का कोई खतरा नहीं है। नदियों-तालाबों में विसर्जन के अलावा लोग पूजन उपरान्त घरों में पानी से भरे पात्रों में मूर्तियों को विसर्जित कर बाद में उस पानी को अपने गमलों में प्रयोग कर सकते हैं। डॉ. मिश्रा ने बताया कि अनेक दुकानदारों ने इको फ्रेंडली गोमय गणेश प्रतिमाओं की डिमांड की है।
नगर आयुक्त गजल भारद्वाज ने बताया कि गौशाला को आत्म निर्भर बनाने के प्रयास में नगर निगम गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाता रहा है। गणेश चतुर्थी को इको फ्रेंडली मनाने के लिए गाय के गोबर से गणेश जी की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। गोबर से बनी प्रतिमाओं से न तो जल प्रदूषण फैलता है और ना ही नदियों एवं तालाबों में कचरा इकट्ठा होगा। गाय के गोबर से बनी प्रतिमाओं को बेचने के लिए बाकायदा महानगर में कई काउंटर खोले गए है। रक्षा बंधन के अवसर पर भी नगर निगम द्वारा कान्हा उपवन गौशाला में गोमय निर्मित राखियां तथा दीपावली के अवसर पर गोमय दिए बनाये गए थे। इसके अलावा गौमूत्र से गोनाइल (फिनाइल) व गौ अर्क तथा गोबर से दीपक, वर्मी कम्पोस्ट, धूपबत्ती, ओइ्म, स्वास्तिक, विभिन्न कलाकृतियां और गोबर गैस से ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।