राष्ट्रीय खिलाड़ी : पेरिस में ओलंपिक गेम्स में भारत के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर अपने देश के लिए मेडल जीत भारत का नाम रोशन करने का काम कर रहे हैं। लेकिन सहारनपुर का एक जूडो खिलाड़ी जोकि राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का दम दिखा चुका है। घर के हालातो ने उसको तोड़ कर रख दिया, हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के हकीकत नगर के रहने वाले 28 वर्षीय सोनू सिंह उर्फ जोंटी की, जोंटी ने 10 साल की उम्र से जूडो खेलना शुरू किया और उसका सपना था कि वह देश के लिए ओलंपिक खेले और गोल्ड लेकर आए।
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जिसको लेकर जोंटी ने अपनी मजबूत तैयारी शुरू की, जिला स्तर से लेकर स्टेट लेवल तक जोंटी ने गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद जोंटी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और नेशनल स्तर की जूडो चैंपियनशिप में उसका सलेक्शन हुआ। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जोंटी ने एक सिल्वर और दो रजत पदक जीते, लेकिन जोंटी के पिता की डेथ हो जाने के बाद जोंटी के ऊपर मां की जिम्मेदारी आ गई।
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जोंटी की मां भी बीमार रहती है उसकी दवाई से लेकर खाने तक का खर्च अब जोंटी को ही उठाना था। जोंटी ने बीच में ही अपनी तैयारी छोड़कर विधवा मां और अपना पेट पालने के लिए जूडो एकेडमी शुरू की। जोंटी का सपना ओलंपिक खेलने का था लेकिन अब वह खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं। घर की स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से जोंटी अपने खिलाड़ियों को अच्छी सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं।
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घर के हालातो की वजह से ओलंपिक नहीं खेल पाए जोंटी ने अपना हुनर अपने स्टूडेंट को देना शुरू किया और उनके तैयार बच्चे स्टेट और राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट बने। जोंटी के स्टूडेंट पीहू सिंह का कहना है कि जोंटी सर जैसा कोई टीचर नहीं हो सकता। उनके सर जोंटी का सपना पूरा नहीं हो पाया लेकिन अब जोंटी के तैयार स्टूडेंट्स जोंटी का सपना पूरा करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं और अपने हुनर से अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को मात देकर मेडल हासिल कर रहे हैं। जोंटी के तैयार खिलाड़ियों का भी सपना ओलंपिक खेलना है। अब जोंटी अपने तैयार खिलाड़ियों में अपना ओलंपिक का सपना देख रहे हैं।
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