सहारनपुर : यह खबर सहारनपुर नगर निगम द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रयास की विफलता को उजागर करती है। पांवधोई नदी को साफ करने के लिए लगाए गए 20 लाख रुपये के सोलर ओजोन रिएक्टर महज एक साल में ही अस्त-व्यस्त हो गए हैं। यह न केवल एक वित्तीय नुकसान है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति निगम की प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़े करता है।
मुख्य बिंदु:
- वित्तीय नुकसान: 20 लाख रुपये की लागत वाले रिएक्टर बेकार हो गए हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव: नदी का प्रदूषण कम करने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
- कार्यपालन में खामी: निगम ने रिएक्टरों की देखभाल और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया।
- प्राकृतिक आपदा: बाढ़ ने स्थिति को और खराब किया। Saharanpur News
कारण:
- अपरिहार्य रखरखाव का अभाव: रिएक्टरों को नियमित रूप से साफ और मरम्मत करने की आवश्यकता होती है।
- योजना का खराब क्रियान्वयन: रिएक्टरों की संख्या और स्थापना के स्थान का निर्धारण करते समय पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया।
- जागरूकता का अभाव: स्थानीय लोगों को रिएक्टरों के महत्व और उनकी देखभाल के बारे में जागरूक नहीं किया गया। Saharanpur News
समाधान:
- जांच: रिएक्टरों की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए एक विस्तृत जांच की जानी चाहिए।
- मरम्मत: क्षतिग्रस्त रिएक्टरों की मरम्मत की जानी चाहिए।
- रखरखाव: एक नियमित रखरखाव कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
- जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को रिएक्टरों के महत्व और उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
- दायित्व निर्धारण: रिएक्टरों की बदहाली के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
- वैकल्पिक तकनीक: यदि सोलर ओजोन रिएक्टर प्रभावी नहीं साबित होते हैं तो अन्य तकनीकों पर विचार किया जा सकता है। Saharanpur News
सहारनपुर में सोलर ओजोन रिएक्टरों की विफलता एक सबक है कि पर्यावरणीय परियोजनाओं को केवल स्थापित करने से काम नहीं चलता है। इन परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक योजना, निगरानी और रखरखाव आवश्यक है। यह घटना नगर निगम के लिए एक चुनौती है लेकिन साथ ही यह एक अवसर भी है कि वह अपने पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाए। Saharanpur News