शिक्षक भर्ती : आपसी मतभेद और कलह में उलझी भाजपा और उसकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार एक नई मुसीबत में फंस गई है। और इस मुसीबत के बीच एक और नई परेशानी करीब साढ़े चार साल पहले और करीब ढाई साल पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के तहत शिक्षक भर्तियों को लेकर आ पड़ी है, जिसमें भाजपा नेताओं और उसके समर्थक दलों के ही नेताओं के बयान अब योगी सरकार के खिलाफ आ रहे हैं।
इन बयानों में भाजपा के कथिक रूप से योगी विरोधी नेता सीधे-सीधे तो योगी सरकार की बुराई तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले को सही बता रहे हैं। इस प्रकार से पेपर लीक की घटनाओं के बाद अब करीब ढाई साल पहले हो चुकी 68000 के करीब शिक्षक भर्तियों को लेकर हर कोई योगी सरकार पर ही अपना गुस्सा निकाल रहा है। Teacher Recruitment
दरअसल, साल 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पद भरने के लिए भर्तियां निकाली थीं और 1 जनवरी 2020 में 69 हजार भर्तियां की थीं और तकरीबन साढ़े चार साल से ज्यादा समय से ये 69 हजार शिक्षक सहायक शिक्षकों के रूप में सरकारी स्कूलों में पढ़ा भी कर रहे थे। फिर 5 जनवरी 2022 को 68000 सहायक शिक्षकों की लिस्ट योगी सरकार ने जारी की थी और ये शिक्षक पिछले ढाई साल से ज्यादा समय से बच्चों को पढ़ा रहे थे। Teacher Recruitment
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लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षकों की भर्ती को सही प्रक्रिया के तहत न मानते हुए चयनित सभी 68000 अभ्यर्थियों की सूची को रद्द कर दिया है और तीन महीने के भीतर सही प्रक्रिया के तहत नई सूची बनाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि टीईटी में आरक्षण का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी का कट ऑफ मार्क्स पाने पर अनारक्षित वर्ग में रखा जाना उचित है, उन्हें आरक्षण में नहीं गिना जा सकता। Teacher Recruitment
इसलिए आरक्षित वर्गों को उनके हिस्से के आरक्षण के हिसाब से नियुक्त किया जाना चाहिए और सरकार सर्विस रूल्स 1981 के नियम 14 के तहत आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए 90 दिन के भीतर नई लिस्ट जारी करे। अब अगर योगी सरकार 68000 पदों पर भर्ती के लिए नई सूची जारी करेगी, जो कि उसे करनी ही पड़ेगी, तो पहले ही नियुक्त होकर नौकरी करने वाले सहायक शिक्षकों में से बहुतों की नौकरी छिन जाएगी और आरक्षण के तहत आने वाले उन अभ्यर्थियों को नौकरी मिलेगी, जिनकी भर्ती आरक्षण के तहत हो सकती थी। Teacher Recruitment
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दरअसल, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ कर दिया है कि शिक्षकों की नई सूची बनाते समय अगर किसी नियुक्त सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है, तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े। लेकिन दूसरी तरफ जो सहायक शिक्षक नियुक्त हो चुके हैं और स्कूलों में पढ़ा रहे थे, वो नौकरी जाने के खतरे को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। Teacher Recruitment
कहा जा रहा है कुछ शिक्षक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने का मन बना चुके हैं। दरअसल, जब उत्तर प्रदेश में भर्ती हुई थी तब योगी सरकार ने पिछड़ा वर्ग और एससी यानि अनुसूचित जाति के आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया। और ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की जगह महज 3.86 फीसदी आरक्षण और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को 21 फीसदी की जगह महज 16.2 फीसदी आरक्षण दिया गया। जब इसे लेकर हंगामा शुरू हुआ तो सरकार ने आरक्षण देने में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से साफ-साफ इनकार करते हुए कहा कि 70 फीसदी अभ्यर्थियों का चयन आरक्षण वर्ग से हुआ है, जबकि ये सफेद झूठ था। Teacher Recruitment
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