UP Political News : सपा छोड़ स्वामी प्रसाद मौर्य ने बना ली अपनी पार्टी, अखिलेश यादव की खोल दी पोल
Published By Roshan Lal Saini
UP Political News : लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीती में कई बड़े फेर बदल देखने को मिल रहे हैं। जहां समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया है वहीं पिछड़े वर्ग के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने न सिर्फ समाजवादी पार्टी को अलविदा बोल दिया है बल्कि MLC पद से भी इस्तीफा दे दिया है। ख़ास बात ये है स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सोमवार को प्रेस वार्ता कर “राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी” की घोषणा कर नई पार्टी का झंडा भी लॉन्च कर दिया है।
एमएलसी पद से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि “अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के विपरीत जा रहे हैं। कल तक जातीय गणना की बात करने वाली सपा अब अपने ब्यान से मुकर रही है। PDA का नारा देने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सोच सामने आ गई है। जिस PDA का नारा दिया। उसकी खुद ही हवा निकाल दी। जो खुद अंधेरे में हो, वो दूसरे को कैसे उजाले में ले जाएगा। मुलायम सिंह घर में घंटों पूजा करते थे। मगर वो कभी मंदिर नहीं गए। अब सपा शालिग्राम की पूजा कर रही है। जब तक राम गोपाल यादव मुखिया की तरह रहेंगे। तब तक सपा का कुछ नहीं हो सकता हैं।”
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आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफे से पहले अखिलेश यादव को लेटर भेजा। इसमें उन्होंने लिखा- “आपके लीडरशिप में सौहार्दपूर्ण वातावरण में काम करने का मौका मिला। 12 फरवरी को बातचीत हुई। फिर 13 फरवरी को मैंने लेटर भेजा। लेकिन लेटर पर कोई पहल नहीं की गई। इसके बाद मैं सपा की प्राथमिक सदस्य से भी त्याग-पत्र दे रहा हूं।” इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा सभापति को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि “मैं MLC पद से इस्तीफा दे रहा हूं। 13 फरवरी को स्वामी प्रसाद ने सपा के महासचिव पद से इस्तीफा दिया था।”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि “आज मैंने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। इससे पहले 12 फरवरी को अखिलेश यादव से मेरी मुलाकात और बात हुई थी। मैंने कहा था कि कुछ लोग पार्टी में है, जो पार्टी की विचारधारा और उसे कमजोर करने का काम कर रहे हैं। इसके बाद दोबारा मैंने पत्राचार किया। मगर उनकी तरफ से एक्शन नहीं लिया गया। मैं पद के लिए सपा में नहीं आया था। मेरे लिए पद का कोई महत्व नहीं हैं। पद से ज्यादा मैं अपना सम्मान और विचारधारा को मानता हूं। जीवन पर्यंत इन विचार धाराओं को आगे बढ़ाने के लिए काम करता रहूं। 22 फरवरी को दिल्ली में एक बड़ी जनसभा में अपनी नई पार्टी का ऐलान करूंगा।”
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि “प्रदेश और देश में बैठी सरकारें गरीबों के खिलाफ काम कर रही हैं। लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए ED और सीबीआई सहित तमाम एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। आज इंडिया गठबंधन देश की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि आज सपा से मेरी राहें जुदा हो गई हैं। लेकिन मैं इंडिया गठबंधन के सहयोग में रहूंगा। मुझे वक्त मिला, तो राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होऊंगा।”
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“जब से मैं समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ। तब से लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था- पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है। हमारे महापुरुषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी। 2022 विधानसभा चुनाव में अचानक प्रत्याशियों के बदलने के बावजूद पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहा। उसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां 2017 में सिर्फ 45 विधायक थे। ये संख्या बढ़कर 110 हो गई। बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया। इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। पार्टी को ठोस जनाधार देने के लिए जनवरी-फरवरी 2023 में मैंने आपके पास एक सुझाव रखा।”
मैंने कहा कि “बेरोजगारी और महंगाई, किसानों की समस्याओं और लोकतंत्र संविधान को बचाने के लिए हमें रथ यात्रा निकालनी चाहिए। जिस पर आपने सहमति जताई। कहा था कि होली के बाद इस यात्रा को निकाला जाएगा। आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। मैंने दोबारा कहना उचित नहीं समझा। पाखंड पर प्रहार किया, तो पार्टी के छुटभैया नेताओं ने मेरा निजी बयान बताया। पार्टी का जनाधार बढ़ाना मैंने अपने तौर-तरीके से जारी रखा। जो आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए थे। उनके सम्मान और स्वाभिमान को जगाकर वापस लाने की कोशिश की। मगर पार्टी के ही कुछ छुटभैया और कुछ बड़े नेताओं ने “मौर्य जी का निजी बयान है” कहकर इस धार को कुंठित करने की कोशिश की।”
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“मेरे खिलाफ कई FIR भी दर्ज कराई गईं। लेकिन मैं अपनी सुरक्षा की बिना चिंता अभियान में लगा रहा। हैरानी तो तब हुई, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता चुप रहने के बजाय मौर्य जी का निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की। मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है। पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव और नेता ऐसे भी हैं, जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है।”
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उन्होंने कहा कि “दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान सपा की तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास और वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो में समझता हूं ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।”
गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जनवरी माह में भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य पहले योगी सरकार में मंत्री थे। स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हुए थे। भाजपा में शामिल होने से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी में अहम पदों पर रह चुके हैं। राजनीति के शुरुआती दिनों में लोकदल और जनता दल में भी स्वामी प्रसाद मौर्य काम कर चुके हैं।