लखनऊ : मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री मायवती को फिर से बहुजन समाज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। बसपा केंद्रीय कार्यकारी समिति (CEC) और राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों की विशेष बैठक में यह निर्णय लिया गया है। यानी सर्वसम्मति से मायावती को एक बार फिर बसपा सुप्रीमो की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही मायावती के भतीजे आकाश आनंद की भी जिम्मेदारी बढ़ाई गई हैं। बैठक में आकाश आनंद को महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू- कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया है।
68 वर्षीय मायावती उत्तर प्रदेश की चार बार पूर्व मुख्यमंत्री हैं। दो दशक पहले बसपा संस्थापक कांशीराम के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया था। बसपा संस्थापक कांशीराम ने खुद मायावती को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। जिसके चलते मायावती लगातार बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी जाती हैं। मंगलवार को पार्टी शीर्ष नेताओं की विशेष बैठक में अहम् फैसला लिया गया। पार्टी नेताओं ने सर्वसम्मति से मायावती को बहुजन समाज पार्टी का एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है।
इस कार्यक्रम में बसपा केंद्रीय कार्यकारी समिति, राष्ट्रीय और राज्य स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारी और देश भर के प्रतिनिधि शामिल हुए। बसपा अध्यक्ष पद पर मायावती अगले पांच साल तक बनी रहेंगी। उनका कार्यकाल पांच साल होगा है। पार्टी राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने मायावती के नाम प्रस्ताव दिया था। वहीं नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद का कद बढ़ाते हुए उनको महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू- कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया है।
प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुने जाने के बाद मायावती ने देश भर से आए पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि दलितों और बहुजनों को अपनी शक्ति पर भरोसा करना होगा। वरना इसी तरह धोखा खाते रहेंगे और लाचारी व गुलामी का जीवन जीने को मजबूर होना पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में बहुमत से दूर भाजपा के नेतृत्व में बनी NDA की सरकार का रवैया सुधारवादी नहीं है। जिसके चलते NDA की सरकार को स्थाई व मजबूत सरकार नहीं कह सकते।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी के राजनीतिक हालात पर कहा कि पिछले दिनों हुआ लोकसभा का चुनाव परिणाम कई कारणों से नई संभावनाएं पैदा करता है। मायावती ने बसपा समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के मूवमेंट तथा आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने एवं खत्म करने के षड्यंत्र को कांग्रेस, भाजपा और उनके गठबंधन से बचाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी- एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण व क्रीमीलेयर का नया नियम लागू करने के फैसले पर कहा कि पुरानी व्यवस्था को बहाल रखने के लिए केंद्र द्वारा अभी तक भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बसपा को मूवमेंट के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए वह हर कुर्बानी देने को तैयार हैं।
बसपा सुप्रीमो चुने जाने के बाद मायावती ने कहा कि पार्टी व मूवमेंट के हित में न तो वह कभी रुकने वाली हैं और न ही झुकने वाली हैं। टूटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस और भाजपा व इनके गठबंधन दलितों, आदिवासियों, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के सच्चे हितैषी नहीं हैं । बहुजनों के प्रति इनकी सोच हमेशा ही संकीर्ण, जातिवादी, सांप्रदायिक, द्वेषपूर्ण व तिरस्कारी रही है। इनके शासनकाल में बहुजनों की हालत में सुधार अभी तक नहीं हो पाया है। केंद्र में भाजपा व कांग्रेस की जातिवादी एवं अहंकारी सरकार बनाने से रोकने में बहुजन समाज काफी हद तक पिछड़ गया।